ब्लॉगः खेती की बहस में पीछे छूटते कुछ बड़े मुद्दे

देश में जब भी खेती-किसानी पर बहस होती है तो बातचीत प्राय: किसानों की आर्थिक स्थिति के इर्दगिर्द ही सिमटी रह जाती है। कई किसान संगठनों को लग रहा है कि हाल में बने तीन नए कृषि कानूनों से उन्हें प्राप्त होने वाले उपज मूल्य और उनकी आय में कमी आ सकती है। इस कारण वे इनका विरोध कर रहे हैं। अनेक अन्य प्रमुख देशों की तुलना में भारत में कृषि और किसानों की भूमिका कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। प्रमुख अनाजों गेंहू और चावल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, कठिन वक्त के लिए अनाजों का पर्याप्त भंडार उपलब्ध करवाने और अर्थव्यवस्था में मंदी के समय में भी सामान्य कृषि उत्पादन बनाए रखने में किसानों और खेत-मजदूरों की मेहनत का बड़ा योगदान रहा है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा को बहुत बल मिला है।

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